नई दिल्ली, 12 जून 2025:
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की वैश्विक होड़ अब और भी तेज़ हो गई है। इस दौड़ में अब मेटा (Meta) प्रमुख मार्क ज़ुकरबर्ग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए लगभग 23.09 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (15 अरब अमेरिकी डॉलर) के निवेश की तैयारी कर ली है। यह निवेश एआई स्टार्टअप Scale AI में 49% हिस्सेदारी के रूप में किया जाएगा, जिससे मेटा को सुपरइंटेलिजेंस की दिशा में बढ़त मिलने की उम्मीद है।
Scale AI के सीईओ अलेक्ज़ेंडर वांग, महज़ 28 वर्ष के हैं और उनका नेतृत्व इस कंपनी को अग्रणी तकनीकी संस्था बना रहा है। हालांकि, इस डील की आधिकारिक घोषणा अब तक नहीं हुई है, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक मेटा जल्द ही इस पर से पर्दा उठाने वाला है।
सुपरइंटेलिजेंस एक ऐसी काल्पनिक एआई प्रणाली को कहा जाता है जो इंसानों से सभी कार्यों में बेहतर प्रदर्शन कर सके — न केवल टेक्स्ट जनरेशन या इमेज प्रॉसेसिंग में, बल्कि तर्क, सोच, रणनीति और मानव क्षमताओं से परे जाकर।
हालांकि, मौजूदा एआई सिस्टम — जैसे GPT-4, Claude, और Gemini — अभी भी कई मामलों में असंगत परिणाम देते हैं और जटिल लॉजिक या रीज़निंग में चूक जाते हैं। इसके बावजूद, पिछले 18 महीनों में एआई क्षेत्र में हुई प्रगति इस ओर संकेत कर रही है कि दशक के अंत तक सुपरइंटेलिजेंस जैसी कोई तकनीक उभर सकती है।
तकनीकी विश्लेषकों का कहना है कि मार्क ज़ुकरबर्ग इस वक्त एक "वारटाइम सीईओ" की भूमिका में हैं — यानी वह वैश्विक तकनीकी शक्ति संतुलन को लेकर एक रणनीतिक युद्ध लड़ रहे हैं। दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियां और सरकारें इस होड़ में शामिल हैं, लेकिन अभी कोई यह नहीं जानता कि सुपरइंटेलिजेंस आने के बाद समाज, अर्थव्यवस्था और नैतिक मूल्यों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
जहां अमेरिका और चीन जैसे देश इस क्षेत्र में अरबों डॉलर निवेश कर रहे हैं, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देश अगर ऊर्जा के वैकल्पिक और "विशाल स्रोत" नहीं ढूंढते, तो वे इस होड़ में शुरुआत की लाइन पर भी खड़े नहीं हो पाएंगे।
यह स्पष्ट है कि आने वाला दशक एआई के इतिहास में निर्णायक होगा, और मेटा का यह नया कदम इस प्रतिस्पर्धा को एक नए स्तर पर ले जाएगा।